श्रीमद्भगवदगीता में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जीवन के विभिन्न पहलुओं और सफलता के महान रहस्यों के बारे में उपदेश दिए हैं। ये रहस्य आज भी मार्गदर्शन करने के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। यहां भगवान श्रीकृष्ण द्वारा उपदेशित सफलता के 12 महान रहस्य हैं:
- कर्मयोग (कार्य में योग): भगवान श्रीकृष्ण ने कर्मयोग की महत्वपूर्णता को बताया है, जिसके अनुसार कर्म करना और उसमें योगी भाव से रहना महत्वपूर्ण है।
- निष्काम कर्म (फल से अनासक्ति): श्रीकृष्ण ने निष्काम कर्म का उपदेश दिया है, जिसमें कार्यों को भले ही किया जाए, परंतु फल से निरासक्त रहना चाहिए।
- समर्पण और सेवा: भगवान ने समर्पण और सेवा के माध्यम से आत्मा का मुक्ति में सहारा लेने का मार्ग दिखाया है।
- ज्ञान और विवेक (बुद्धि और ज्ञान): श्रीकृष्ण ने बुद्धि और ज्ञान का महत्व बताया है और कहा है कि व्यक्ति को अपने कर्तव्यों को समझने के लिए बुद्धिमान होना चाहिए।
- अपने कर्तव्यों में समर्पित रहना: भगवान श्रीकृष्ण ने अपने कर्तव्यों में समर्पित रहने की महत्वपूर्णता को बताया है। व्यक्ति को अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते समय अपने आत्मा को समझना चाहिए।
- आत्मनिरीक्षण और साधना: भगवान ने आत्मनिरीक्षण और आत्मा की साधना के माध्यम से आत्मा के प्रति जागरूकता बढ़ाने का सुझाव दिया है।
- आत्मा में स्थिति: भगवान श्रीकृष्ण ने बताया है कि अच्छे योगी वह हैं जो आत्मा में स्थित रहते हैं और अन्य के सुख-दुःख को समझते हैं।
- आत्मनियंत्रण: आत्मनियंत्रण और इंद्रियों के संयम में रहने का महत्वपूर्णता को बताया गया है।
- निर्दोष बुद्धि: भगवान श्रीकृष्ण ने निर्दोष बुद्धि रखने की महत्वपूर्णता को बताया है, जिससे व्यक्ति अपने दृष्टिकोण को सुधार सकता है।
- समता भाव: भगवान ने समता भाव को बढ़ावा देने की बात की है, जिससे व्यक्ति सुख-दुःख, लाभ-हानि के मामले में समर्थ रहता है।
- अपने में देवी-देवता का आदर्श: श्रीकृष्ण ने अपने में देवी-देवता का आदर्श बनाए रखने का सुझाव दिया है, जिससे व्यक्ति अपने आत्मा को उन्नत बना सकता है।
- भगवान के प्रति अद्भुत प्रेम: आखिरकार, भगवान श्रीकृष्ण ने भगवान के प्रति अद्भुत प्रेम और उनकी अद्वितीयता में रत रहने की महत्वपूर्णता को बताया है।